Skip to main content

नई शिक्षा नीति के साथ देश सतरंगी सपने देखने को तैयार -

नई शिक्षा नीति के साथ देश सतरंगी सपने देखने को तैयार -

आम बजट 2021 में नई शिक्षा नीति को धरातल पर उतारने को लेकर वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन द्वारा प्रभावी कदम उठाते हुए तमाम घोषणाएं की गई है इसी के साथ नई शिक्षा नीति को अमलीजामा पहनाए जाने के लिए व्यापक स्तर पर जनांदोलन चलाये जाने की आवश्यकता भी महसूस की जाने लगी है ।
34 सालों बाद नवीनीकरण ,आधुनिकीकरण एवं आत्मनिर्भर भारत को लक्ष्य बनाकर देश की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार हो गई है और इसी के साथ नई शिक्षा नीति पर आकांक्षाओं और उम्मीदों को लेकर व्यापक विचार-विमर्श भी प्रारंभ हो गया है ।
   नई शिक्षा नीति का मसौदा इसरो प्रमुख रह चुके “डॉ० के० कस्तूरीरंगन” की अध्यक्षता में तैयार किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी मिलने पर इसे लागू कर दिया गया है एवम इसके लागू होने के साथ ही भारत की शिक्षा प्रणाली में भी 21वीं शताब्दी के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के अनुरूप बदलावों का अहम सिलसिला भी शुरू हो गया है। इस नीति में तथाकथित पठन-पाठन की पुरानी चली आ रही शिक्षक आधारित व्यवस्था की जगह विद्यार्थी केन्द्रित नई व्यवस्था लाकर समूची प्रणाली में बदलाव लाने पर जोर दिया गया है जिससे विद्यार्थियों का समग्र विकास सुनिश्चित हो सकें और उनकी रचनात्मक क्षमता भी विकसित की जा सके। नई शिक्षा नीति में शिक्षा के इस मूल सिद्धांत पर विशेष बल दिया गया है कि शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को महज साक्षर बना देने और उन्हें भाषाई एवम अंक ज्ञान देने तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि शिक्षा से विद्यार्थियों में रचनात्मक सोच और समस्या का समाधान खोजने के अतिरिक्त सामाजिक और भावनात्मक कौशल का विकास भी हो। उपरोक्त के अतिरिक्त छात्रों में सांस्कृतिक चेतना और अनुभूति दृढ़ निश्चय और विश्वास टीम भावना, नेतृत्व और संचार जैसे गुणों का विकास भी शामिल होना चाहिए ।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में कई बुनियादी सुधार शामिल किए गए हैं जिनकी मदद से विद्यार्थियों के आकलन की प्रक्रिया के तौर-तरीकों, प्रारूप और क्रियान्वयन को नया रूप दिया जा सकेगा। नीति में बोर्ड परीक्षाओं में बदलाव लाकर उन्हें और प्रामाणिक बनाना, बच्चों पर पुस्तकों का बोझ कम करने और कोचिंग की व्यवस्था समाप्त करने पर खास जोर दिया गया है।
शिक्षकों के प्रशिक्षण एवम विदेशी संस्थानों को अवसर देने के साथ ही यह नीति अपने प्रारूप और आशय दोनों के ही आधार पर वैश्विक भी है और स्थानीय भी। इसमें शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित किये बगैर ही सबसे ज्यादा पिछड़े वर्गों और क्षेत्रों के बच्चों के लिए प्रारंभिक शिक्षा की सुदृढ़ नींव तैयार करके उनकी शिक्षा आवश्यकताएं पूरी करने को प्रमुखता दी गई है ताकि भारत शिक्षा क्षेत्र में विश्व गुरु के रूप में उभर कर सामने आए। 
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत वर्ष 2030 तक सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio-GER) को 100% लाने एवम शिक्षा क्षेत्र पर जी.डी. पी. के 6% हिस्से के सार्वजनिक व्यय का लक्ष्य रखने के अतिरिक्त प्रमुख रूप से निम्नवत बिंदु सम्मलित किये गए है ।
1- NEP 2020 के अंतर्गत पांचवी कक्षा तक के छात्रों को मातृ भाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्र भाषा में ही अध्ययन करवाया जाएगा।
2 -भाषा के चुनाव के लिए छात्रों पर कोई बाध्यता नहीं होगी, उनके लिए संस्कृत और अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं को पढने के विकल्प भी मौजूद रहेंगे।
3 -कक्षा 10 बोर्ड की अनिवार्यता को ख़त्म कर दिया गया है, अब छात्र को सिर्फ 12वीं में बोर्ड परीक्षा देनी होगी।
4 -ग्रेजुएशन की डिग्री 3 और 4 वर्ष की होगी।
5 -एक वर्ष पढ़ाई करने के बाद यदि छात्र पढाई छोड़ता है और फिर दोबारा अपनी पढ़ाई जारी करने का मन बनाता है तो वह अपनी पढाई वहीँ से प्रारंभ कर सकता है जहाँ से उसने अपनी पढाई को छोड़ा था।
6 -छात्र को कॉलेज के पहले वर्ष की पढाई पूरी होने पर सर्टिफिकेट, दूसरे वर्ष पर डिप्‍लोमा व तीसरे और चौथे वर्ष में डिग्रीदी जाएगी।
7 -3 वर्ष की डिग्री उन छात्रों के लिए होगी, जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं लेना है, जबकि हायर एजुकेशन करने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री लेनी होगी।
8 -4 वर्ष की डिग्री लेने वाले स्‍टूडेंट्स एक वर्ष में  MA कर पाएंगे।
9 -MPhil की अनिवार्यता को भी ख़त्म कर दिया गया है, MA के छात्र सीधे ही PHD कर पाएंगे।
10- यदि कोई अपने कोर्स के बीच में से किसी दूसरे कोर्स में शामिल होना चाहता है तो वह सीमित समय के लिए ब्रेक लेकर अपना कोर्स बदल सकता है।
11- स्कूली बच्चों को खेल-कूद, योग, नृत्य, मार्शल आर्ट, बागवानी, समेत अन्य शारीरिक गतिविधियों से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
सभी के समानता पर आधारित और समावेशी उत्तम शिक्षा की सुनिश्चित व्यवस्था कराने के उद्देश्य से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में शिक्षा तक सबकी पहुंच सभी की भागीदारी और शिक्षण स्तर के मामले में विभिन्न वर्गों के बीच अंतर को समाप्त करने पर विशेष ध्यान दिया गया है। इस नीति में समानता को ही समावेशी व्यवस्था का आधार माना गया है। सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों और क्षेत्रों के विकास पर भी विशेष बल दिया गया है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में सभी को स्कूली शिक्षा उपलब्ध कराने और ज़्यादा से ज़्यादा बच्चों को स्कूलों में दाखिल कराने पर जोर दिया गया है। प्री स्कूल शिक्षा पर इसमें विशेष ध्यान दिया गया है। बुनियादी शिक्षा में होलिस्टिक लर्निंग के अंतर्गत बच्चों की पढ़ने की क्षमता और अर्थ या भाव समझने की क्षमता और वास्तविक जीवन में गणित से गुणा-भाग और जमा घटा कर पाने की क्षमता के विकास पर बल दिया गया है। इसी उद्देश्य से निपुण भारत मिशन भी शुरू किया गया है।
 भारतीय सरकार ने महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के साथ सतरंगी सपने देखने एवम उन्हें सच करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू तो कर दिया है लेकिन धरातल पर इसके परिणामों को प्राप्त करने के बीच में एक बहुत बड़ी खाई है अगर देश  मिलकर इस खाई को पाटने में सफल होता है तो निसंदेह नीति 2020 देश को ऊंचाइयों को ले जाने में सफल होगी एवं मील पत्थर साबित होगी। 

    

Comments

Popular posts from this blog

S.W.O.T analysis of the Indian Congress party .

A SWOT analysis of the Indian Congress party would likely identify the following strengths: A long history and rich legacy as the oldest political party in India, with a deep network of party workers and supporters across the country. A diverse and experienced leadership, with leaders from various regions and backgrounds who bring different perspectives and ideas to the party. A strong focus on social justice and welfare, which resonates well with many voters, especially those from marginalized communities. Weaknesses: Lack of strong, charismatic leadership since the death of Rajiv Gandhi and Sonia Gandhi's absence from active politics A lack of clear party agenda and direction, resulting in confusion among voters and party workers. Internal factionalism and lack of unity among party leaders, resulting in lack of cohesiveness and effectiveness. Opportunities: Opportunities to rebuild the party and rejuvenate the organization by bringing in new leaders and ideas. Opportu...